पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा चार स्तरीय रणनीति पर आधारित है। इन रणनीतियों में आपूर्ति के स्रोतों को विविध रूप देना, घरेलू स्तर पर ज्यादा-से-ज्यादा तेल और गैस का पता लगाना व उत्पादन करना, ऊर्जा बदलाव के तहत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग और गैस व हरित हाइड्रोजन को अपनाना है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को कहा कि भारत 2040 तक वैश्विक ईंधन मांग में 25% योगदान देगा और 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण हासिल करेगा।
देश अपनी कुल तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस का 50 प्रतिशत आयात के जरिये पूरा करता है। गन्ने और अन्य कृषि उपज से प्राप्त एथनॉल को पेट्रोल में मिलाया जा रहा है ताकि आयात पर निर्भरता को कम किया जा सके। पुरी ने कहा कि वर्ष 2025 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत 1973 के तेल संकट के बाद से दुनिया के सबसे विकट ऊर्जा संकट से बाहर निकलने में सक्षम रहा है। इसका श्रेय चार स्तरीय ऊर्जा सुरक्षा रणनीति को जाता है। यह रणनीति है, आपूर्ति के स्रोतों को विविध रूप देना, घरेलू स्तर पर ज्यादा-से-ज्यादा तेल एवं गैस का पता लगाना और उत्पादन करना तथा ऊर्जा बदलाव के तहत वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों का उपयोग एवं गैस आधारित अर्थव्यवस्था, हरित हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाना है।’’
भारत 2006-07 में 27 देशों से तेल आयात करता था। यह संख्या 2021-22 में बढ़कर 39 हो गयी। नये आपूर्तिकर्ताओं में कोलंबिया, रूस, लीबिया, गैबन और इक्वेटोरियल गिनी शामिल हैं।
रूस के यूक्रेन पर हमले से ऊर्जा की कीमतें बढ़ीं लेकिन भारत में ग्राहकों पर इसका खास असर नहीं हुआ क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा तेल कंपनियों ने इस वृद्धि के बावजूद दाम नहीं बढ़ाये।
पुरी ने कहा कि देश में सर्वाधिक इस्तेमाल वाले ईंधन डीजल के दाम में दिसंबर, 2021 से दिसंबर, 2022 के दौरान केवल तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं अमेरिका में इसमें 34 प्रतिशत, कनाडा में 36 प्रतिशत, स्पेन में 25 प्रतिशत और ब्रिटेन में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
डीजल का दाम दिसंबर, 2021 में 86.67 रुपये प्रति लीटर था जो एक साल में बढ़कर 89.62 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया। वहीं पेट्रोल की कीमत इस अवधि में 95.41 रुपये लीटर से बढ़कर 96.72 रुपये लीटर हो गयी।
उत्पाद शुल्क में कटौती से कीमत वृद्धि से राहत दी गयी। सरकार ने 2020 में महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के दाम में नरमी आने पर पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल के मामले में 15 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। इस बढ़ोतरी को नवंबर, 2021 और मई, 2022 में दो चरणों में वापस लिया गया था।
साथ ही, कुछ राज्यों ने उपभोक्ताओं को राहत देने को लेकर ईंधन पर वैट (मूल्य वर्धित कर) या स्थानीय बिक्री कर में कटौती की।
पुरी ने कहा कि सरकार देश में तेल और गैस खोज क्षेत्र 2025 तक पांच लाख वर्ग किलोमीटर तथा 2030 तक 10 लाख वर्ग किलोमीटर तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। बड़े क्षेत्र में खोज से तेल और गैस के नये क्षेत्र मिलेंगे। इससे घरेलू स्तर पर तेल और गैस का उत्पादन बढ़ेगा जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।
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