केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को देश में बढ़ते पेट्रोल - डीजल की कीमतों पर केंद्र सरकार की ओर से जवाब दिया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा देश में कोविड महामारी के बाद भी केंद्र सरकार जनता के लिए लगातार प्रयास कर रही है. अब राज्यों की बारी है वो भी आगे आएं और इसकी जिम्मेदारी लें. केंद्रीय मंत्री ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए बताया, ''मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है. मोदी सरकार में पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के दामों में सिर्फ 30 फीसदी ही बढ़ोत्तरी हुई है जबकि केंद्र सरकार ने इसके बदले में अन्य कई जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की. ''
केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया, 'हम अभी तक कोरोना महामारी से उबर नहीं पाए हैं. देश के 80 करोड़ लोगों को अभी भी मुफ्त में राशन दिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने इससे बचने के लिए अभी भी वैक्सीनेशन अभियान चला रखा है. रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से क्रूड आयल की कीमतें 19.56 डालर प्रति बैरल से बढ़कर 130 डालर प्रति बैरल तक जा पहुंची है. इसके पहले केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल पर 32 रुपये का एक्साइज शुल्क लेती थी, जिसमें कटौती की गई है. केंद्र सरकार ने पिछले साल दीपावली के आस-पास अपनी जिम्मेदारी लेते हुए वैट टैक्स घटाए थे. अब राज्यों को भी जनता की सेवा के लिए इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.'
गैर बीजेपी शासित राज्यों में 25 फीसदी ज्यादा वैट टैक्स
हरदीप सिंह पुरी ने आगे कहा, भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित राज्यों में जितना VAT लगा रहे हैं उसका आधा वैट बीजेपी शासित राज्यों में लगाया गया है. पेट्रोल के दामों की बात करें तो बीजेपी शासित राज्यों की तुलना गैर-बीजेपी शासित राज्यों में 15-20 रुपये का अंतर दिखाई देगा. आपको बता दें कि गुरुवार को भी हरदीप सिंह पुरी ने बताया था कि विमान संचालन में देश के 40 फीसदी ईंधन का खर्च इससे पहले गुरुवार को भी केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि विमान संचालन में 40 फीसदी खर्च ईंधन का होता है. देश के जिन राज्यों में बीजेपी का शासन नहीं है वहां पर 25 फीसदी ज्यादा वैट की वसूली की जा रही है जबकि बीजेपी जिन राज्यों में शासन कर रही है वहां पर एक फीसदी वैट टैक्स ही लिया जा रहा है.
राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी की जद में लाने को तैयार नहीं
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, 'मेरी समझ यह है कि केंद्र पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने में खुश होगा लेकिन सत्य ये है कि राज्य इसके लिए तैयार नहीं है तथ्य यह है कि राज्य इसके लिए तैयार नहीं हैं. राज्यों के मुख्यमंत्री पेट्रोल-डीजल और शराब के राजस्व से हत्या हत्या करने पर उतारू हैं और जब कर्ज बढ़ता है तो वे दूसरों को दोष देते हैं उन्होंने इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब का दिया है.' केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, हम ईरान जैसे खाड़ी देशों के करीब स्थित हैं. जहां बहुत सारा तेल है. रूस के साथ हमारे ऊर्जा संबंध हैं और हम उनस कच्चा तेल खरीदते हैं लेकिन हमारा कुल आयात महज 0.2 फीसदी से ज्यादा का नहीं है हमें अपने हितो को ध्यान में रखते हुए अपनी शर्तों पर तेल खरीदना होगा.
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