हरदीप पुरी इंटरव्यू: कोविड-19 के संक्रमण काल से तय होगा उड़ानों का भविष्य
नागर विमानन और वाणिज्य मंत्रालय की बागडोर संभाल रहे केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने मंत्रालयों से
विभिन्न
विषयों पर 'लोकमत' से चर्चा की. लोकमत समूह के नेशनल एडिटर हरीश गुप्ता से खास बातचीत में उन्होंने कोविड-19
की वजह से प्रभावित हो रहे भारतीय विमानन क्षेत्र के भविष्य, भारत में निवेश बढ़ाने के सरकार के प्रयासों के बारे में
जानकारी दी. साथ ही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के भविष्य को लेकर लगाए जा रहे कयासों को लेकर अहम
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खुलासे किए. पढ़िए साक्षात्कार के चुनिंदा अंश...
प्रश्न : फिलहाल आपके समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
उत्तर : कोविड- 19 ने पूरे विमानन क्षेत्र को हिलाकर रख दिया है. वैश्विक स्तर पर कई विमानन कंपनियां बुरे दौर से गुजर रही हैं. उन्हें बंद करने की नौबत आ गई है. जैसे ही देश में लॉकडाउन का ऐलान किया गया, सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने मोर्चा संभाला. लाइफलाइन उड़ान मिशन के तहत एयर इंडिया के विमान विदेशों से 1900 टन मेडिकल कार्गो लेकर भारत आए तथा 30 टन कार्गो को मित्र देशों में पहुंचाया. 'वंदे भारत मिशन' के तहत विदेशों से अब तक 4 लाख 50 हजार लोगों को स्वदेश लाया गया है. हमारे समक्ष अब सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को जल्द से जल्द शुरू करने की है.
प्रश्न : नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानें कब तक शुरू हो पाएंगी?
उत्तर : इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. यह काफी हद तक वायरस के संक्रमण काल पर निर्भर करेगा. घरेलू उड़ानों का 50-60% क्षमता से संचालित होना महत्वपूर्ण होगा. अन्य देश बिना शर्तों और प्रतिबंधों के उड़ानों को कब और कैसे अनुमति देते हैं, इसका भी विचार करना होगा.
प्रश्न: क्या एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया सही राह पर है?
उत्तर : कोविड-19 महामारी के कारण इस प्रक्रिया में देर हुई है, लेकिन यह पटरी से नहीं उतरी है. लेकिन एक विशेष बात यह है कि एयर इंडिया ने इस संकट काल में अपनी मूलभूत ताकत और मजबूती दिखाई है. यह संभावित खरीदारों को अब और ज्यादा आकर्षित करेगी.
प्रश्न : आप पहली बार सांसद बने हैं, उससे पहले नौकरशाह के रूप में सालों तक देशसेवा की...
उत्तर : भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के महत्वपूर्ण अंग तथा नौकरशाह के रूप में मैंने 40 सालों तक कार्य किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने से पहले 'थिंक टैंक' की अध्यक्षता की. नौकरशाही में लंबे अनुभव का मुझे विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों तथा उनकी समस्याओं को समझने में लाभ मिला. मैं विभिन्न मंत्रालयों की बारीकियों को समझ सका.
प्रश्न : कई राज्य घरेलू उड़ानों की संख्या बढ़ाने को लेकर भयभीत हैं?
उत्तर : 26 जून तक घरेलू उड़ानों की क्षमता 45% से अधिक हो चुकी है. पहले दिन हमने सिर्फ 30000 यात्रियों से शुरुआत की थी जो अब प्रतिदिन 65000 यात्रियों तक पहुंच गई है. प्रतिदिन उड़ानों की संख्या भी 430 से बढ़कर 750 हो गई है.
प्रश्न : कई राज्य अपने यहां विमानों को उतरने की अनुमति नहीं दे रहे हैं?
उत्तर: केंद्र की राजग सरकार 'सहयोगात्मक संघवाद' में यकीन करती है. हमने इस बारे में राज्यों से कई स्तरों पर चर्चा की. राजनीतिक स्तर पर और कार्यालयीन स्तर पर भी दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि हवाई यातायात के दौरान न केवल ज्यादा सावधानी बरती जा सकती है बल्कि विमान में चढ़ने-उतरने के दौरान संक्रमण का जोखिम कम होता है. मैं विभिन्न राज्यों से मिल रहे सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं.
प्रश्न : इसके बावजूद कई राज्यों ने साफ तौर पर उड़ानों के लिए इनकार किया, आपने उन्हें कैसे मनाया?
उत्तर : हमने उनसे चर्चा की. उन्होंने यात्रियों की कोविड- 19 जांच और क्वारेंटाइन को लेकर सुझाव दिए. हमने सुझावों पर गौर किया तथा जहां तक संभव है, अमल करने की कोशिश की.
प्रश्न : बसें चल रही हैं, लेकिन दिल्ली और अन्य जगहों पर मेट्रो नहीं?
उत्तर : मेट्रो सेवाएं शुरू करने का फैसला आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत गृह मंत्रालय को लेना है. मेरे मंत्रालय ने मेट्रो कंपनियों को अपनाई जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया की जानकारी दे दी है. मेट्रो संगठन भी तैयार हैं.
प्रश्न : हमें बताया गया कि महाराष्ट्र ने उड़ानें परिचालित करने से मना कर दिया?
उत्तर : (मुस्कुराते हैं...) उद्धव ठाकरे जी हमारे करीबी मित्र हैं. महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई में सिर्फ 25 उड़ानों को मंजूरी दी. यानी प्रतिदिन 50 उड़ान / लैंडिंग. इसी तरह पश्चिम बंगाल सरकार भी सहमत हुई. लेकिन, कभी-कभी राज्यों को अपनी ओर से कुछ प्रतिबंधात्मक कदम लागू करने पड़ते हैं. यह वायरस की वजह से उत्पन्न हालात पर निर्भर करता है.
प्रश्न : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आप पर इतना यकीन करते हैं, क्या राज है?
उत्तर : मैं प्रधानमंत्री का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं कि वे मुझे इस काबिल समझते हैं. मुझे जो जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं, मैं उन्हें प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश कर रहा हूं. जो कार्य सौंपा गया है, पूरी क्षमता और ईमानदारी से पूरा करता हूं.
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