यूक्रेन पर रूस के सैन्य हमले के बाद तेजी से बदलती वैश्विक राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार के लिए गुरूवार शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा मामलों की समिति (सीसीएस) की बैठक में यूक्रेन में फंसे करीब 16 हजार भारतीय नागरिकों को जमीनी मार्ग से पड़ोसी देशों के रास्ते सुरक्षित निकालने की रणनीति तय की गई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं कैबिनेट सचिव ने भाग लिया। बैठक में विदेश मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी भी मौजूद थे।
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने रात में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालना है जिनमें छात्र भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि रात में प्रधानमंत्री श्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से टेलीफोन पर बात करेंगे। विदेश मंत्री एस जयशंकर यूक्रेन के पड़ोसी देशों - पोलैंड, स्लोवाक गणराज्य, हंगरी एवं रोमानिया के विदेश मंत्रियों से बात करेंगे और उनसे भारतीय नागरिकों को यूक्रेन से निकालने में मदद करने का अनुरोध करेंगे। डॉ. जयशंकर यूरोपीय संघ के उच्चायुक्त और ब्रिटेन के विदेश मंत्री से बात कर चुके हैं।
विदेश सचिव ने कहा कि यूक्रेन के चारों पड़ोसी देशों के रास्ते जमीनी मार्ग से भारतीय नागरिकों को निकाला जाएगा। इसके लिए विदेश मंत्रालय में रूसी भाषा बोलने वाले अधिकारियों की चार टीमों को भेजा गया है जो हंगरी, पोलैंड, स्लोवाक गणराज्य एवं रोमानिया में स्थित भारतीय मिशनों में तैनात अधिकारियों के साथ मिल कर काम करेंगे। एक सवाल के जवाब में श्री श्रृंगला ने यूक्रेन में फंसे छात्रों के माता पिता से अपील में कहा कि हम भारतीय छात्रों के संपर्क में हैं और उन्हें सुरक्षित निकालने की तैयारी की जा रही है।
भारतीय नागरिकों को निकालने में देरी के एक सवाल पर श्री श्रृंगला ने कहा कि भारतीय दूतावास ने 15 फरवरी से ही एडवायजरी जारी करनी शुरू कर दी थी और सभी भारतीयों से जरूरी नहीं होने पर तुरंत देश छोडऩे को कहा था। यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय नागरिक थे जिनमें से करीब चार हजार वापस लौट चुके हैं। लेकिन छात्रों ने पढ़ाई के नुकसान के डर से रुकने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास ने शिक्षण संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों से ऑनलाइन कक्षाएं चलाने का अनुरोध किया है ताकि भारतीय छात्रों की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय में यूक्रेन के संकट को लेकर एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है जिसमें करीब 20 अधिकारी तैनात हैं और चौबीसों घंटे काम करने वाले इस कंट्रोल रूम में अब तक 980 कॉल और 850 ईमेल प्राप्त हुए हैं और उनका निस्तारण किया गया है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय को भी इस बारे में सूचित कर दिया गया है और अगर जरूरी हुआ तो भारतीय वायुसेना के विमानों का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने यूक्रेन रूस एवं अमेरिका सहित सभी पक्षों से संयम बरतने एवं कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान खोजने पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी इस बारे में एक प्रस्ताव लाया जा रहा है। प्रस्ताव के प्रारूप को अंतिम रूप जा रहा है।
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