नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों को मोदी बनाम केजरीवाल मुकाबला होने की चर्चाओं को खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात का उदाहरण हैं कि सुशासन ही अच्छी राजनीति है, लेकिन दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसके ठीक विपरीत हैं और रुकावटें पैदा करने और झूठ बोलकर जीत हासिल करने में विश्वास रखते हैं.
दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री ने तीन ऐसे फैक्टर गिनाए जो आम आदमी पार्टी की हार और भारतीय जनता पार्टी की जीत का कारण बन सकते हैं.
पुरी ने कहा, “AAP की विश्वसनीयता खत्म हो गई है. सबसे पहले, सत्ता विरोधी भावना. दूसरी, विश्वसनीयता और तीसरी व्यक्तिगत भ्रष्टाचार. यह अब सबसे महत्वपूर्ण बात है क्योंकि तीनों एक-दूसरे को बढ़ावा देते हैं. यह सिर्फ सत्ता विरोधी लहर नहीं है. विश्वसनीयता के संकट के कारण सत्ता विरोधी भावना और भी खराब हो रही है और भ्रष्टाचार के कारण विश्वसनीयता और भी कम होती जा रही है.”
पुरी ने कहा कि भाजपा में टैलेंट की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि भाजपा से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में पूछने के बजाय केजरीवाल पहले यह बताएं कि उनका उम्मीदवार कौन है. उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि केजरीवाल कुछ सार्थक कहने के अभाव में कह रहे हैं कि मिस्टर एक्स दिल्ली भाजपा के मुख्यमंत्री होंगे. मुद्दा यह है कि आप पहले खुद तय करें कि आपका मुख्यमंत्री कौन होगा. क्या यह अस्थायी मुख्यमंत्री होगा, या अंतरिम मुख्यमंत्री होगा, या कोई पूर्व मुख्यमंत्री होगा?”
पुरी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए किसी चेहरे की अनुपस्थिति को भाजपा के अभियान की कमियों में से एक माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह “सोचने का बेतुका तरीका” है.
पुरी ने कहा, “नेतृत्व कोई ऐसी चीज़ नहीं है जो पहले से तय हो, नेता खुद बनते हैं. हम कार्यकर्ताओं की पार्टी हैं. क्या आपने राजस्थान और मध्य प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्रियों के नाम उनकी नियुक्ति से पहले सुने थे? मैंने उनके नाम सुने थे, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं या नहीं.”
उन्होंने दिप्रिंट से कहा कि भाजपा चुनाव जीतने के बाद इस मामले पर फैसला करेगी.
दिल्ली विधानसभा पिछले दो दशकों से भाजपा के लिए एक मायावी चुनाव रही है. पार्टी 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर है और इस चुनाव को राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हासिल करने के अवसर के रूप में देख रही है.
उन्होंने कहा, “अगर आपके पास टैलेंट की कमी है तो आप सीएम के चेहरे को लेकर परेशान रहते हैं. आज दिल्ली में भाजपा नेताओं की कोई कमी नहीं है. ऐसे लोग हैं जो पूर्णकालिक विधायक रह चुके हैं और दावा कर सकते हैं. पार्टी में नए लोग भी हैं…बहुत पढ़े-लिखे हैं और पार्टी की गतिविधियों में पूरी तरह से शामिल हैं.”
दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान होगा और मतगणना 8 फरवरी को होगी.
भाजपा द्वारा 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए अपना अभियान केजरीवाल पर केन्द्रित करने के दावे का खंडन करते हुए मंत्री ने कहा कि वह पिछले 10 साल से AAP सरकार द्वारा किए गए कामों की कमी को निशाना बना रहे हैं.
उन्होंने तर्क दिया, “अगर हम उनके 2015 और 2020 के घोषणापत्रों और उनके द्वारा दी गई सभी गारंटियों को देखें, तो AAP को ही काम पूरा करना था. केजरीवाल उस पार्टी का चेहरा हैं और अस्थायी मुख्यमंत्री होने के बावजूद वे अब भी वही हैं.”
पुरी ने कहा, AAP भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दे पर अस्तित्व में आई थी, लेकिन यह “दुनिया का सबसे भ्रष्ट राजनीतिक संगठन” बन गई है.
उन्होंने कहा, “इस भ्रष्टाचार की संस्कृति दंड से मुक्त है…और वे पकड़े गए हैं क्योंकि अब लोग उन्हें याद दिला रहे हैं कि आपकी शुरुआत अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान हुई थी. अब AAP न केवल भारत में सबसे भ्रष्ट संगठन है बल्कि शायद आप दुनिया के सबसे भ्रष्ट संगठनों में भी अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहा है.”
भले ही भाजपा ने अभी तक मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित न करने का फैसला किया है, लेकिन वह सत्ता में आने के लिए ‘ब्रांड मोदी’ पर निर्भर है.
यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रीय राजधानी में मोदी बनाम केजरीवाल की टक्कर देखने को मिल रही है, पुरी ने कहा: “कहां हैं मोदी, कहां हैं केजरीवाल? मोदी के पास 10 साल हैं, सिर्फ प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि ठोस काम करने के बाद भी. 10 साल बाद भी एनडीए को 293 सीटें मिलीं, जो ज़रूरी संख्या से ज्यादा है. इससे पहले भी वह कई सालों तक मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने एक राज्य चलाया. इसका कोई मुकाबला नहीं है.”
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा हमेशा प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेती रहेगी क्योंकि वे “अपने व्यक्तित्व में ‘सबका साथ, सबका विश्वास’ को दर्शाते हैं.”
“उदाहरण के लिए 2014 में हम 11वीं या 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थे. आज हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. इसी साल हम चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे और एक या दो साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे. यह आर्थिक वृद्धि दिखाती है कि मोदी ने सुशासन और अच्छी राजनीति का उदाहरण पेश किया है.”
उन्होंने कहा, “मिस्टर केजरीवाल इसके विपरीत हैं. वे सुशासन के विपरीत में विश्वास करते हैं. वे रुकावटों में विश्वास करते हैं, लेकिन सकारात्मक प्रकार का नहीं. वे झूठ बोलकर अपना रास्ता बनाना जानते हैं. उन्होंने 2015 में और फिर 2020 में कहा कि अगर वे यमुना जी को साफ नहीं करते हैं, तो वे वोट मांगने नहीं आएंगे. खैर, वे तीसरी बार यहां वापस आए हैं और यमुना जी पर एकमात्र चर्चा यह है कि क्या यह निर्धारित स्तर से 500 गुना अधिक प्रदूषित है या 2,000 गुना अधिक है.”
उन्होंने कहा कि “बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर है. दिल्ली के लोगों की परिपक्वता को कम मत समझिए. एक राजनीतिक दल केवल आकर एक कहानी पेश कर सकता है, लेकिन अंत में यह जनता ही है जो फैसला करती है.”
मंत्री ने आरोप लगाया, “दिल्ली के मतदाताओं ने यह सब देखा है. उन्होंने मिस्टर केजरीवाल को देखा है, वह व्यक्ति जो आया और कहा कि वह सरकारी बंगला या कार नहीं लेगा. मेरे एक सहकर्मी ने आरटीआई दायर की थी और आपको पता है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार ने उनकी कारों पर कितना खर्च किया है — 1.45 करोड़ रुपये.”
झुग्गी-झोपड़ी और झुग्गीवासियों के पुनर्वास का मुद्दा AAP सरकार और बीजेपी के बीच टकराव का मुख्य मुद्दा रहा है. पुरी ने कहा कि केजरीवाल के इस दावे के विपरीत कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो झुग्गी-झोपड़ियों को ध्वस्त कर देगी, उसने झुग्गीवासियों को सशक्त बनाया है.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “जब मैं आवास और शहरी मामलों का मंत्री था, जो कि मैं सात साल तक रहा, तो झुग्गीवासियों और अनौपचारिक बस्तियों को सभी सुविधाओं के साथ 3,200 आधुनिक साज-सज्जा वाले फ्लैट दिए गए थे.”
जबकि पुरी ने ‘रेवड़ी कल्चर’ पर बहस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिसकी कभी प्रधानमंत्री मोदी ने आलोचना की थी.
उन्होंने कहा, “मैं दिल्ली के संदर्भ में संस्कृति पर टिप्पणी नहीं करना चाहता क्योंकि बीजेपी का घोषणापत्र अभी आना बाकी है. मैं यह अनुमान लगाकर कुछ नहीं कह सकता कि उसमें क्या है या नहीं, लेकिन बीजेपी जो कहती है और करती है और विपक्षी दल जो करते हैं, उसके बीच एक बुनियादी दार्शनिक अंतर है.”
उन्होंने कहा, “दो बातें — एक तो यह कि बीजेपी सत्ता में है. जब हम कुछ कहते हैं, तो हमें उसे पूरा करना होता है क्योंकि हमें संसाधन जुटाने होते हैं. जबकि अगर कोई पार्टी विपक्ष में है, तो वह जो चाहे दावा कर सकती है, यह अच्छी तरह जानते हुए भी कि वह सत्ता में नहीं आने वाली है, लेकिन इसे एक बेंचमार्क के रूप में रखा जाएगा.”
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